मन की बात में बच्चों से बोले पीएम मोदी

मन की बात में बच्चों से बोले पीएम मोदी- दादा-दादी से पूछिए, बचपन में क्या करते थे?

पीएम ने बच्चों से कहा कि आप उनसे जरूर पूछिए कि बचपन में उनका रहन-सहन कैसा था, वो कौन से खेल खेलते थे, कभी नाटक देखने जाते थे, कभी खेत-खलियान में जाते थे!

मन की बात में बच्चों से बोले पीएम मोदी

  • पीएम ने बच्चों से की बुजुर्गों से बातचीत करने की अपील
  • बुजुर्गों का रिकॉर्ड करें इंटरव्यू, बहुत सीखने को मिलेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में बच्चों से विशेष आग्रह करते हुए कहा कि घर के बुजुर्गों से बातचीत करें. जब थोड़ा समय मिले तो माता-पिता से पूछकर मोबाइल उठाइए और अपने दादा-दादी, नाना-नानी या घर में जो भी बुजुर्ग हैं, उनका इंटरव्यू रिकॉर्ड कीजिए.

पीएम ने बच्चों से कहा कि आप उनसे जरूर पूछिए कि बचपन में उनका रहन-सहन कैसा था, वो कौन से खेल खेलते थे, कभी नाटक देखने जाते थे, कभी खेत-खलियान में जाते थे, त्योहार कैसे मानते थे, बहुत सी बातें आप उनको पूछ सकते हैं. ये सब आपको सीखने को मिलेगी. .

पीएम ने कहा कि कोरोना के संकट काल में देश लॉकडाउन से बाहर निकल आया है. अब हम अनलॉक के दौर में हैं. अनलॉक के इस समय में दो बातों पर बहुत फोकस करना है. पहला कोरोना को हराना और दूसरा अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है.

लॉकडाउन से ज्यादा सतर्कता हमें अनलॉक के दौरान बरतनी है. इस बात को हमेशा याद रखिए कि अगर आप मास्क नहीं पहनते हैं, दो गज की दूरी का पालन नहीं करते हैं, या फिर, दूसरी जरूरी सावधानियां नहीं बरतते हैं, तो, आप अपने साथ-साथ दूसरों को भी जोखिम में डाल रहे हैं.


पीएम मोदी ने कहा कि भारत में जहां एक तरफ़ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीं सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए. नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत खोजे गए,यानि संकट के दौरान भी हर क्षेत्र में सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही.

पीएम मोदी ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले, देश के पूर्वी छोर पर तूफान अम्फान आया, तो पश्चिमी छोर पर साइक्लोन निसर्ग आया. कितने ही राज्यों में हमारे किसान भाई-बहन टिड्डी दल के हमले से परेशान हैं और कुछ नहीं, तो देश के कई हिस्सों में छोटे-छोटे भूकंप रुकने का ही नाम नहीं ले रहे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक साल में एक चुनौती आए या पचास, नंबर कम-ज्यादा होने से, वो साल खराब नहीं हो जाता. भारत का इतिहास ही आपदाओं और चुनौतियों पर जीत हासिल कर और ज़्यादा निखरकर निकलने रहा है!


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